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लेखक: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=ग़ालिब]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:गा़लिब]]<poem>इश्क़ तासीर<ref>प्रभाव</ref> से नोमीद<ref>निराश</ref> नहीं जां-सुपारी<ref>जान निछावर करना</ref> शजर-ए-बेद<ref>बेद का फल (निष्फल)</ref> नहीं
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*सल्तनत दस्त-ब-दस्त आई है जाम-ए-मै ख़ातिम-ए-जमशेद<ref>जमशेद बादशाह की अंगूठी</ref> नहीं
इश्क़ तासीर से नौमेद नहीं है तजल्ली<brref>प्रकाश</ref> तेरी सामाने-वजूद जाँ सुपारी शह्ज्रज़र्रा बे-परतवे-बेद नहींख़ुर्शीद<brref>सूरज के आलोक के बिना<br/ref> नहीं
सुल्तनत दस्तराज़--दस्त आई है <br>माशूक़ न रुसवा हो जाये जाम-ए-मै ख़ातम-ए-जमशेद वर्ना मर जाने में कुछ भेद नहीं <br><br>
है तजल्ली तेरी सामने वजूद गर्दिश-ए-रंग-ए-तरब<brref>बदनाम</ref> से डर है जरा बेपरतवे ख़ुर्शीद नहीं ग़म-ए-महरूमी-ए-जावेद<brref>आनन्द के परिवर्तनशील<br/ref>नहीं
राज़-ए-माशूक़ न रुसवा हो जाये <br>वर्ना मर जाने में कुछ भेद नहीं <br><br> गर्दिश-ए-रन्ग-ए-तरब से डर है <br>ग़म-ए-महरूमी-ए-जावेद नहीं <br><br> कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग <br>हम को जीने की भी उम्मीद नहीं <br><br/poem>{{KKMeaning}}
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