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"इश्क़ ने फ़रहाद के परदे में... / आसी ग़ाज़ीपुरी" के अवतरणों में अंतर

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इश्क़ ने फ़रहाद के परदे में पाया इन्तक़ाम।
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एक मुद्दत से हमारा ख़ून दामनगीर था॥
 
एक मुद्दत से हमारा ख़ून दामनगीर था॥
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आज अराम से सोना मेरी तक़दीर में था॥
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18:29, 20 जुलाई 2009 का अवतरण

इश्क़ ने फ़रहाद के परदे में पाया इन्तक़ाम।

एक मुद्दत से हमारा ख़ून दामनगीर था॥


वोह मुसव्वर था कोई या आपका हुस्नेशबाब।

जिसने सूरत देख ली, इक पैकरे-तसवीर था॥





ऐ शबेगोर! वो बेताबि-ए-शब हाय फ़िराक़।

आज अराम से सोना मेरी तक़दीर में था॥