भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इसमें क्या दिल टूटने की बात है / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:33, 17 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= आनंद कुमार द्विवेदी }} {{KKCatGhazal}} <poem> इस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
इसमें क्या दिल टूटने की बात है
जख्म ही तो प्यार की सौगात है
जिक्र फिर उसका हमारे सामने
फिर हमारे इम्तेहां की रात है
दो घड़ी था साथ फिर चलता बना
चाँद की भी दोस्तों सी जात है
साथ अपने रास्ते ही जायेंगे
सिर्फ़ धोखा मंजिलों की बात है
हैं हकीकत बस यहाँ तन्हाइयाँ
वस्ल तो दो चार दिन की बात है
कौन कहता है कि राहें बंद हैं
हर कदम पर इक नयी शुरुआत है
मत चलो छाते लगाकर दोस्तों
जिंदगी ‘आनंद’ की बरसात है