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"इस जलते जीवन का प्रमाद (दशम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हम पड़े सिसकते बिंदु-बिंदु
 
हम पड़े सिसकते बिंदु-बिंदु
 
आकांक्षाओं का स्वर्ण-इंदु
 
आकांक्षाओं का स्वर्ण-इंदु
दुःख में भी भरता मधुर स्वाद
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दुख में भी भरता मधुर स्वाद
  
 
इस जलते जीवन का प्रमाद
 
इस जलते जीवन का प्रमाद
 
मैं किसे सौंप दूँ, प्राणों की, यह गहन विकलता, यह विषाद?
 
मैं किसे सौंप दूँ, प्राणों की, यह गहन विकलता, यह विषाद?
 
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01:57, 15 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


इस जलते जीवन का प्रमाद
मैं किसे सौंप दूँ, प्राणों की, यह गहन विकलता, यह विषाद?

रानी तुम हो, यह मधु रजनी
पुलकित दिगंत, सुरभित अवनी
उर में बुनती माया-ठगिनी
जाने कैसी वेदना-वाद!
 
यह कैसा भीषण अन्धकार!
जड़-शून्य, गहनता, दुर्निवार
मधु-मिलन-प्रहर, सुकुमार, भार,
रुँध जाती साँसें निमिष बाद
 
यह विश्व विरह का महासिन्धु
हम पड़े सिसकते बिंदु-बिंदु
आकांक्षाओं का स्वर्ण-इंदु
दुख में भी भरता मधुर स्वाद

इस जलते जीवन का प्रमाद
मैं किसे सौंप दूँ, प्राणों की, यह गहन विकलता, यह विषाद?