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ईश्वर-स्तुति / लेखनाथ पौड्याल

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जय जगदीश्वर ! जय अविनाशी
जय जय भगवन । करुणाराशि ।
शक्ति छ प्रभुको अपरम्पार
घुम्दछ जसमा सब संसार ॥१॥

जलचर, थलचर, ग्रहगण, तारा
सूर्य लगायत सुर, मुनि सारा ।
केवल प्रभुको करुणा पाई
गर्छन् निज-निज कर्म रमाई ॥२॥

सुर-मुनिदेखि भुसुनासम्म
प्रभु नै सबका घटमा टम्म ।
प्रभुका लेखा प्राणीमात्र
पुत्र-बराबर करुणा-पात्र ॥ ३ ॥

प्रभु नै सब सुख-सम्पति-दाता
प्रभु नै सबको भाग्य-विधाता।
प्रभु नै सबमा करुणाधारी
प्रभु नै सबको पालनकारी ॥ ४ ॥

बालक हामी शिर निहुराई
प्रभुका पदमा भक्ति लगाई
पढ्न तयारी छौँ सब नाथ !
पार लगाऊ करुणा-साथ ॥५॥

(स्रोत : हाम्रो नेपाली किताब – कक्षा ६)