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उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं <br>
मुंतज़िर हैं दमे रुख़सत के ये मर जाए तो जाएँ<br>
नहीं सुनते तो हम ऐसों को सुनाते भी नहीं<br><br>
ख़ूब परदा है के कि चिलमन से लगे बैठे हैं <br>
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं<br><br>