भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं <br>
बाइसे तर्के बाइस-ए-तर्क-ए मुलाक़ात बताते भी नहीं<br><br>
मुंतज़िर हैं दमे रुख़सत के ये मर जाए तो जाएँ<br>
नहीं सुनते तो हम ऐसों को सुनाते भी नहीं<br><br>
ख़ूब परदा है के कि चिलमन से लगे बैठे हैं <br>
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं<br><br>
Delete, Mover, Uploader
894
edits