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"उड़ गई ठण्ड कबूतर-सी / आजाद रामपुरी" के अवतरणों में अंतर

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मीठी लगने लगती छाया जैसे पूँछ हो बन्दर की
 
मीठी लगने लगती छाया जैसे पूँछ हो बन्दर की
  
आसमान से सूरज उतरा, मूँछें थानेदारों सी
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आसमान से सूरज उतरा, मूँछें थानेदारों-सी
आँखें करे अंगारों जैसी, पोशाक बंजारों सी  
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आँखें करे अंगारों जैसी, पोशाक बंजारों-सी  
 
लू लपटों की लगी दुकानें लटकें फूल पलाशों के  
 
लू लपटों की लगी दुकानें लटकें फूल पलाशों के  
 
मेहमानों-सी आऊ गरमी, दिन हैं खेल-तमाशों के
 
मेहमानों-सी आऊ गरमी, दिन हैं खेल-तमाशों के

21:33, 17 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

जाड़ा उड़ता गौरैया-सा, उड़ गई ठण्ड कबूतर-सी
दिन का बढ़ने लगा क्षेत्रफल, सिकुड़ी रात छछून्दर-सी
सूरज की महफ़िल की रौनक, बढ़ने लगी कचहरी में
किरण उछल नृत्य करती है, तपती भरी दुपहरी में

मीठी लगने लगती छाया जैसे पूँछ हो बन्दर की

आसमान से सूरज उतरा, मूँछें थानेदारों-सी
आँखें करे अंगारों जैसी, पोशाक बंजारों-सी
लू लपटों की लगी दुकानें लटकें फूल पलाशों के
मेहमानों-सी आऊ गरमी, दिन हैं खेल-तमाशों के

हवा झकोर हिला-डुलाय, लहर उठे समन्दर-सी
एक नहीं सौ कला दिखाती, मनभावन अति सुन्दर-सी