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ऊँचे-ऊँचे मकान
और दुकानें हों बड़ी-बड़ी
 
उस घर से मत जोड़ना मेरा रिश्ता
मत चुनना ऐसा वर
जो पोचाई <ref>आदिवासियों की देशी शराब जिसे चावल से बनाते हैं</ref> और हंडिया में
डूबा रहता हो अक्सर
तुम्हारी ख़ातिर
उधर से आते-जाते किसी के हाथ
भेज सकूँ कद्दू-कोहडा, खेखसा<ref>चठैल, बड़ी बेर जैसे गोल एक सब्जी</ref>, बरबट्टी<ref>बीन्स जैसी एक सब्जी</ref>,
समय-समय पर गोगो के लिए भी
बकरी और शेर
एक घाट पर पानी पीते हों जहाँ
वहीं ब्याहना मुझे !
उसी के संग ब्याहना जो
कबूतर के जोड़ और पंडुक <ref>एक चिड़िया जो जोड़े में रहने के लिए प्रसिद्ध है</ref> पक्षी की तरह
रहे हरदम साथ
घर-बाहर खेतों में काम करने से लेकर
जिससे खाया नहीं जाए
मेरे भूखे रहने पर
उसी से ब्याहना मुझे ।मुझे।
</poem>
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