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उमर कैद हो माणस की मैं न्यूं ना ब्याह करवाता / मेहर सिंह

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मात पिता और कुटुम्ब कबीला सब झूठ जगत का नाता
उमर कैद हो माणस की मैं न्यूं ना ब्याह करवाता।टेक

शेष नाग भी जती रहा जो विष्णु का प्यारा था
एक बणया राम एक बणया लछमन जब मनूष्य रूप धारया था
चौदह साल जती रह कै नै मेघनाथ मार्या था
युद्ध कर कै नै ब्याही सुलोचना वो बदला तारया था
जती रह्या और असुर मार दिया ना तै खुद आपै मर जाता।

शील गंगे भी जती रहा जो भीष्म था ब्रह्मचारी
उतरान को प्राण गये हुई स्वर्ग लोक की त्यारी
अपणे हाथां मौत बता दी पड़े धरण बलकारी
दुनिया कै म्हां रुका पड़ग्या पड़गी थी किलकारी
बड़े देवता फूल बगावैं खुश हुई गंगे माता।

वो हनुमान भी जती रहा जो जन्म जती कहलाया
जुल्म हुया जब रोक सुरज लिया दिन ना लिकड़न पाया
एक हाथ पै पहाड़ उठा सजीवन बूटी ल्याया
सोने की लंका फूंक दी भारी जंग मचाया
हनुमान बिन इस दुनियां में लछमन नै कोण बचाता।

रावण का भी जिक्र सुनांे पंडित था वेदाचारी
बेमाता पीसै पीसणा देती पवन बुहारी
इन्द्र देवता छिड़का करते देश राज बलकारी
उसी गर्वी ने जुल्म करा जा हड़ी रामचन्द्र की नारी
गर्व करणीयां इस दुनियां मैं पल छन मैं मर जाता।

पुरनमल का दोष नहीं नूनादे तेरा ताली
पुरनमल नै जगत सराहवै नूनां नै दे गाली
जो मां बेटे पै जुल्म करै वा मां हो सै चन्डाली
पुर्शामल का जिक्र सुणो जिस नै 360 सगाई टाली
स्वर्ग नरक का पता उड़ै जड़ै छन्द मेहरसिंह गाता।