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"उम्र भर खाक़ ही छाना किये वीराने की / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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उम्र भर खाक़ ही छाना किये वीराने की   
 
उम्र भर खाक़ ही छाना किये वीराने की   
 
 
ली नहीं उसने खबर भी कभी दीवाने की
 
ली नहीं उसने खबर भी कभी दीवाने की
 
  
 
शुक्र है, आप न लाये कभी प्याला मुझ तक
 
शुक्र है, आप न लाये कभी प्याला मुझ तक
 
 
मेरी आदत है बुरी, पी के बहक जाने की
 
मेरी आदत है बुरी, पी के बहक जाने की
 
  
 
दिल में एक हूक-सी उठती है आइने को देख
 
दिल में एक हूक-सी उठती है आइने को देख
 
 
क्या से क्या हो गए गर्दिश में हम ज़माने की
 
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देखते-देखते आँखें चुरा गयी है बहार
 
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याद भर रह गयी फूलों के मुस्कुराने की
 
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जिसने भेजा था घड़ी भर तुझे खिलने को,गुलाब!
 
जिसने भेजा था घड़ी भर तुझे खिलने को,गुलाब!
 
 
फ़िक्र क्या, जो वही आवाज़ दे घर आने की
 
फ़िक्र क्या, जो वही आवाज़ दे घर आने की
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21:45, 29 जून 2011 का अवतरण

उम्र भर खाक़ ही छाना किये वीराने की
ली नहीं उसने खबर भी कभी दीवाने की

शुक्र है, आप न लाये कभी प्याला मुझ तक
मेरी आदत है बुरी, पी के बहक जाने की

दिल में एक हूक-सी उठती है आइने को देख
क्या से क्या हो गए गर्दिश में हम ज़माने की

देखते-देखते आँखें चुरा गयी है बहार
याद भर रह गयी फूलों के मुस्कुराने की

जिसने भेजा था घड़ी भर तुझे खिलने को,गुलाब!
फ़िक्र क्या, जो वही आवाज़ दे घर आने की