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− | + | उर्वशी, रम्भा, मेनका, कभी न होती बूढ। | |
− | यह रहस्य जानें नहीं, ज्ञानी और | + | यह रहस्य जानें नहीं, ज्ञानी और विमूढ़॥ |
− | ज्ञानी और विमूढ़ , कौन सा क्रीम लगाती। | + | ज्ञानी और विमूढ़, कौन-सा क्रीम लगाती। |
− | च्यवनप्राश या भस्म, न जाने क्या क्या | + | च्यवनप्राश या भस्म, न जाने क्या-क्या खाती॥ |
− | कह मुन्ना कविराय, बात यह लगे अचम्भा। | + | कह मुन्ना कविराय, बात यह लगे अचम्भा। |
− | पुरुषों से यह राज, न कहती | + | पुरुषों से यह राज, न कहती उर्वशी, रम्भा॥ |
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17:26, 25 दिसम्बर 2019 के समय का अवतरण
उर्वशी, रम्भा, मेनका, कभी न होती बूढ।
यह रहस्य जानें नहीं, ज्ञानी और विमूढ़॥
ज्ञानी और विमूढ़, कौन-सा क्रीम लगाती।
च्यवनप्राश या भस्म, न जाने क्या-क्या खाती॥
कह मुन्ना कविराय, बात यह लगे अचम्भा।
पुरुषों से यह राज, न कहती उर्वशी, रम्भा॥