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उषा-दूतिका / महेन्द्र भटनागर

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उषा का आगमन
रे रात सोये फूल अपनी गंध दो
जिससे किरन आए खिँची
पतली / सुनहली
बावली
फिर रंग अपना दो उसे
निश्छल हृदय का प्यार दो !
अंक भर-भर
मुग्ध
अपना लो !
साकार होगा हर सपन
अनुराग डूबी जब उषा का आगमन !
रे रात सोये फूल
अपनी गंध दो !
हर पाँखुरी के खोल
मुकुलित बंध दो !