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"ऋतु वर्णन / सेनापति" के अवतरणों में अंतर

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रजनी की झाई, वासर मे झलकती है ।  
 
रजनी की झाई, वासर मे झलकती है ।  
  
चाहत चकोर,सुर ओर द्रग च्होर करि,  
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चाहत चकोर,सुर ओर द्रग छोर  करि,  
चकवा की चहाती तजि धीर धसकति है।  
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चकवा की छाती तजि धीर धसकति है।  
  
 
चन्द के भरम होत मोद हे कुमोदिनी को,  
 
चन्द के भरम होत मोद हे कुमोदिनी को,  
 
ससि संक पंकजिनी फुलि न सकति है।
 
ससि संक पंकजिनी फुलि न सकति है।
 
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18:15, 10 नवम्बर 2011 का अवतरण

शिशिर मे ससि को, सरुप पवै सबिताऊ
घाम हू मे चांदनी की दुति दमकति है ।
 
"सेनापति” होत सीतलता है सहस गुनी,
रजनी की झाई, वासर मे झलकती है ।

चाहत चकोर,सुर ओर द्रग छोर करि,
चकवा की छाती तजि धीर धसकति है।

चन्द के भरम होत मोद हे कुमोदिनी को,
ससि संक पंकजिनी फुलि न सकति है।