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"एक अदद गीत के लिए / रामनरेश पाठक" के अवतरणों में अंतर

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17:17, 4 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

मैं कहाँ-कहाँ नहीं गया
एक अदद गीत के लिए

वन, पर्वत, नदी, तड़ाग
वृक्ष, झील, निर्झरनी-कूल
पंथ पंक, मरू, उर्वर, घाट
ताल, ताल चोटियाँ, त्रिशूल

वज्र-मौन, विष-बुझे नयन
एक अदद गीत के लिए

लोक तीन चौदहों भुवन
स्वर्ग नरक, चार-चार धाम
चन्द्र, सूर्य, गृह नखत, अमर
सुबह, रात, दोपहरी, शाम

विस्मयादि बोध-चिह्न थे
एक अदद गीत के लिए

गाँव, नगर महाजनादों
सुध, पुर, पुरी, कुटी पृथक
उनिषद, पुराण, वेद, ग्रन्थ
संहिता, स्मृति, मिथक-मिथक

जुगुप्स, घिन, वीभत्सता मिली
एक अदद गीत के लिए
मैं कहाँ-कहाँ नहीं गया
एक अदद गीत के लिए ।