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एक छोटी कविता / ज्ञानेन्द्रपति

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एक छोटी कविता

एक ज्योतित कविता

जो न जाने कितने अंधेरों से गुजर कर

लिखी गयी है


एक हंसमुख कविता

जिसके वक्ष में न जाने कितनी

उदासियाँ हैं


एक छोटी कविता

जिसकी मितभाषिता में मुखर है

जिन्दगी की बड़ाई |


ज्ञानेन्द्रपति