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एक नायक की मौत पर अफ़सोस / पाब्लो नेरूदा / राजेश चन्द्र
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वे जिन्होंने जीया इस वृत्तान्त को,
इस मौत और शोकाकुल आशा के पुनरुत्थान को,
वेे जिन्होंने चुना सँग्राम को
और देखा परचम का उत्कर्ष,
हमने जाना कि सबसे अधिक शान्त
हमारे वे नायक ही थे
और फ़तह के बाद
आ गये थे चिल्लाने वाले
भरे थे मुँह जिनके
दम्भ और लार में लिपटी शेेख़ियों से ।
लोगों ने झुका दिए थे अपने शीश :
और नायक लौट गया था अपनी ख़ामोशी में ।
किन्तु यह ख़ामोशी
लिपटी हुई थी शोक में
तब तक डूबे रहे हम सन्ताप में,
जब तक कि ख़ाक नहीं हो गए पहाड़
ग्वेरा की शानदार आग में ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र