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"एक सूनी नाव / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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एक सूनी नाव
 
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'''[[रित्तो नाऊ / सर्वेश्वर दयाल सक्सेना / सुमन पोखरेल|यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्नलाई यहाँ क्लिक गर्नुहोस्]]'''
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15:03, 27 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

एक सूनी नाव
तट पर लौट आई।
रोशनी राख-सी
जल में घुली, बह गई,
बन्द अधरों से कथा
सिमटी नदी कह गई,
रेत प्यासी
नयन भर लाई।
भींगते अवसाद से
हवा श्लथ हो गईं
हथेली की रेख काँपी
लहर-सी खो गई
मौन छाया
कहीं उतराई।
स्वर नहीं,
चित्र भी बहकर
गए लग कहीं,
स्याह पड़ते हुए जल में
रात खोयी-सी
उभर आई।
एक सूनी नाव
तट पर लौट आई।
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