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"एमन मानव-जनम आर कि हबे? (बाउल) / बांग्ला" के अवतरणों में अंतर

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18:56, 26 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एमन मानव-जनम आर कि हबे?
मन या कर त्वराय कर एइ भावे।
अन्तर रूप सृष्टि करलने साँइ
शुनि मानवेर तुलना किछुर नाइ
देव-मानवगण करे अराधन जन्म निते मानवे
कत् भाग्यरे फल ना जानि,
मनेर पेयेछ एइ मानव तरणी,
येन मरा ना डोबे।।
एइ मानुषे हवे माधुर्य भजन,
ताइते मानुष रूप एइ गठिल निरंजन
एबार ठकिले आर ना देखि किनार,
लालन कय कातर भावे।।