भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही / ख़ुमार बाराबंकवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=खुमार बाराबंकवी |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> ऐसा नहीं कि ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
अल्लाह जाने मौत कहाँ मर गई 'खुमार ' | अल्लाह जाने मौत कहाँ मर गई 'खुमार ' | ||
− | अब मुझ को | + | अब मुझ को ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं रही |
</poem> | </poem> |
18:52, 29 अगस्त 2009 का अवतरण
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहले सी शिद्दत नहीं रही
सर में वो इंतज़ार का सौदा नहीं रहा
दिल पर वो धड़कनों की हुकूमत नहीं रही
पैहम तवाफ-ऐ-कूचा-ऐ-जाना के दिन गए
पैरों में चलने-फिरने की ताक़त नहीं रही
चेहरे की झुर्रियों ने भयानक बना दिया
आईना देखने की भी हिम्मत नहीं रही
कमजोरी-ऐ-निगाह ने संजीदा कर दिया
जलवों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रही
अल्लाह जाने मौत कहाँ मर गई 'खुमार '
अब मुझ को ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं रही