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ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही / ख़ुमार बाराबंकवी

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ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहले सी शिद्दत नहीं रही

सर में वो इंतज़ार का सौदा नहीं रहा
दिल पर वो धड़कनों की हुकूमत नहीं रही

पैहम तवाफ-ऐ-कूचा-ऐ-जाना के दिन गए
पैरों में चलने-फिरने की ताक़त नहीं रही

चेहरे की झुर्रियों ने भयानक बना दिया
आईना देखने की भी हिम्मत नहीं रही

कमजोरी-ऐ-निगाह ने संजीदा कर दिया
जलवों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रही

अल्लाह जाने मौत कहाँ मर गई 'खुमार '
अब मुझ को ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं रही