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Kavita Kosh से
मैं ज़मीं पर घना अँधेरा हूँ <br>
आसमानों की चाँदनी चांदनी तुम हो <br><br>
दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें <br>
किस ज़माने के आदमी तुम हो <br><br>