"ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो / जयकृष्ण राय तुषार" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: हिन्दी में कहें या कहें उर्दू में ग़ज़ल हो<br /> ऐ दोस्त गले मिल तो हर…) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | हिन्दी में कहें या कहें उर्दू में ग़ज़ल हो | + | {{KKGlobal}} |
− | ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो | + | {{KKRachna |
+ | |रचनाकार=जयकृष्ण राय तुषार | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatGhazal}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | हिन्दी में कहें या कहें उर्दू में ग़ज़ल हो | ||
+ | ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो | ||
− | आंखों में मेरे देख तू लाहौर, कराची | + | आंखों में मेरे देख तू लाहौर, कराची |
− | जब ख़्वाब तू देखे तो वहां ताजमहल हो | + | जब ख़्वाब तू देखे तो वहां ताजमहल हो |
− | तू फूल की खुश्बू का दीवाना है तो मैं भी | + | तू फूल की खुश्बू का दीवाना है तो मैं भी |
− | अब कौन चाहता है कि कांटों की फसल हो | + | अब कौन चाहता है कि कांटों की फसल हो |
− | हम भेज रहे हैं खत में गुलाबों की पंखुरियां | + | हम भेज रहे हैं खत में गुलाबों की पंखुरियां |
− | अब तेरा भी खत आये तो खुश्बू हो कंवल हो | + | अब तेरा भी खत आये तो खुश्बू हो कंवल हो |
− | तू ईद मना हम भी मना लेंगे दीवाली | + | तू ईद मना हम भी मना लेंगे दीवाली |
− | जज़्बात का मसला है ये जज़्बात से हल हो | + | जज़्बात का मसला है ये जज़्बात से हल हो |
− | हम इससे आचमन करें या तू वजू करे | + | हम इससे आचमन करें या तू वजू करे |
− | झेलम का साफ पानी हो या गंगा का जल हो | + | झेलम का साफ पानी हो या गंगा का जल हो |
− | इस चांद को देखें चलो रंजिश को भुला दें | + | इस चांद को देखें चलो रंजिश को भुला दें |
− | जो बात मोहब्बत की है उसपे तो अमल हो | + | जो बात मोहब्बत की है उसपे तो अमल हो |
− | ऐ दोस्त अगर सुबह का भूला है तो घर आ | + | ऐ दोस्त अगर सुबह का भूला है तो घर आ |
− | कुछ आंख मेरी भीगें कुछ तेरी सजल हो | + | कुछ आंख मेरी भीगें कुछ तेरी सजल हो |
− | इक रोज तेरे घर पे तबीयत से मिलेंगे | + | इक रोज तेरे घर पे तबीयत से मिलेंगे |
− | ये धुंध हटे राह से कुछ राह सरल हो< | + | ये धुंध हटे राह से कुछ राह सरल हो |
+ | </poem> |
21:39, 18 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
हिन्दी में कहें या कहें उर्दू में ग़ज़ल हो
ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो
आंखों में मेरे देख तू लाहौर, कराची
जब ख़्वाब तू देखे तो वहां ताजमहल हो
तू फूल की खुश्बू का दीवाना है तो मैं भी
अब कौन चाहता है कि कांटों की फसल हो
हम भेज रहे हैं खत में गुलाबों की पंखुरियां
अब तेरा भी खत आये तो खुश्बू हो कंवल हो
तू ईद मना हम भी मना लेंगे दीवाली
जज़्बात का मसला है ये जज़्बात से हल हो
हम इससे आचमन करें या तू वजू करे
झेलम का साफ पानी हो या गंगा का जल हो
इस चांद को देखें चलो रंजिश को भुला दें
जो बात मोहब्बत की है उसपे तो अमल हो
ऐ दोस्त अगर सुबह का भूला है तो घर आ
कुछ आंख मेरी भीगें कुछ तेरी सजल हो
इक रोज तेरे घर पे तबीयत से मिलेंगे
ये धुंध हटे राह से कुछ राह सरल हो