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ओजी पांच बधावा म्हारे आवियाजी / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ओजी पांच बधावा म्हारे आवियाजी
ओजी पांचां री नवी-नवी भांत
नारेळ म्हारा बार, सुपारी म्हारे ऑगणे जी
होजी चारोली चौबारिये रे मांय
दाख म्हारा मेहल में जी।