भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

औरत / सुमन केशरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रेगिस्तान की तपती रेत पर
अपनी चुनरी बिछा
उस पर लोटा भर पानी
और उसी पर रोटियाँ रख कर
हथेली से आँखों को छाया देते हुए
…औरत ने
ऐन सूरज की नाक के नीचे
एक घर बना लिया ।