भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

औरों के लिए तप / सुमन केशरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

औरों के लिए तप करने को पैदा हुई
जीव को औरत कहते हैं
कहती थी मां
चूल्हे के सामने से घुटनों को पकड़
उठती कराहती मां
उसके हाथों की बनी रोटी
अक्सरहा कुछ नमकीन लगती थी।