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कतय हेरायल गाम यै / रूपम झा

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कतय हेरायल गाम सखि मोर
कतय हेरायल गाम यै।।

सुति-उठि जतए सुनी पराती
जतय युवा छल बूढ़क लाठी
चारू दिश हम ताकि रहल छी,
ताकय छी वैह धाम यै।
कतय हेरायल गाम सखि मोर

प्रीतक धार बहै छल पहिने
नेहक बात कहै छल पहिने
भय-भाय मे तेना रहै छल
जहिना लक्षमन-राम यै।
कतय हेरायल गाम सखि मोर

संग-साथ परिवार रहै छल
सुख दुख सभ मिलि संग सहै छल
जतय सासु नवकी कनियाँ केर,
राखय छलि उपनाम यै।
कतय हेरायल गाम सखि मोर

संग-साथ परिवार रहै छल
सुख दुख सभ मिलि संग सहै छल
जतय सासु नवकी कनियाँ केर,
राखय छलि उपनाम यै।
कतय हेरायल गाम सखि मोर

ताकय छी ओ कोयली के स्वर
प्रीत भरल ओ संग-साथ घर
वैह समाज हम फेर तकै छी,
ताकै छी अहिठाम यै
कतय हेरायल गाम सखि मोर