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"कतिविध्न गर्हौँ दिनहरू / हर्मन हेस्स / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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प्रेम मर्न सक्छ। | प्रेम मर्न सक्छ। | ||
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09:37, 4 दिसम्बर 2020 का अवतरण
कतिविध्न गर्हौँ भएका यी दिनहरू।
कुनै आगो छैन मलाई न्यानो दिने
मसँग खेल्ने कुनै घाम छैन
सबै रित्ता छन्
सबै चिसा र भाववहीन छन्।
ती प्रिय र चम्किरहेका ताराहरू समेत
अपहेलित भएर भूईँमै पोखिएजस्ता लाग्छन्,
जब
मैले आफ्नो हृदयभित्रैबाट बुझेँ
प्रेम मर्न सक्छ।
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