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|रचनाकार=जहीर कुरैशी
|संग्रह=पेड़ तन कर भी नहीं टूटा / जहीर कुरैशी
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<poem>
व्यक्त किया उसने अपनी हैरानी को
प्रजातंत्र में भी बच्चों के किस्सों किस्से ही
ज़िंदा रखते हैं राजा या रानी को