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कर्मावती के राखी / सुभाष चंद "रसिया"

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हो अपनी माटी से हमरा के प्यार हो गइल।
उड़े तिरंगा नीले गगन में खुशियाँ छा गइल॥

वीर जवानन धरती ह भारत देश महान।
गीता के उपदेश के भैया जानेला जहाँन।
जन-जन में गाँधी के सपना दिलमे भा गइल॥
हो अपनी माटी से हमरा के प्यार हो गइल॥

पुरुखों के सम्मान के खातिर घर-घर दीप जरावे।
वीर भगत के लोरी मइया, हमके रोज सुनावे।
कश्मीर की केसर क्यारी में फलियाँ आ गइल॥
हो अपनी माटी से हमरा के प्यार हो गइल॥

राजगुरू सुखदेव की धरती मीरा के गुण गावे।
हरिश्चन्द्र के सच्चा सपना दिल में सबकी भावे।
कर्मावती के राखी भईया, जग में छा गइल॥
हो अपनी माटी से हमरा के प्यार हो गइल॥