भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कहत नंद जसुमति सौं बात / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=सूरदास
 
|रचनाकार=सूरदास
}}  
+
}} {{KKCatKavita}}
 
+
{{KKAnthologyKrushn}}
 
राग सोरठ  
 
राग सोरठ  
  

21:06, 18 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

राग सोरठ

कहत नंद जसुमति सौं बात ।
कहा जानिए, कह तैं देख्यौ, मेरैं कान्ह रिसात ॥
पाँच बरष को मेरौ नन्हैया, अचरज तेरी बात ।
बिनहीं काज साँटि लै धावति, ता पाछै बिललात ॥
कुसल रहैं बलराम स्याम दोउ, खेलत-खात-अन्हात ।
सूर स्याम कौं कहा लगावति, बालक कोमल-बात ॥

सूरदास जी कहते हैं, श्री नन्द जी यशोदा से यह बात कह रहे हैं - `क्या जानें मेरे कन्हाई में तुमने क्या देख लिया, जिसके कारण उसपर तुम (इतना) खीजती हो? मेरा नन्हा लाल तो अभी पाँच ही वर्ष का है । तुम्हारी बात तो बड़ी आश्चर्यजनक है । बिना काम तुम उसके पीछे चिल्लाती-पुकारती छड़ी लेकर दौड़ती हो । मेरे बलराम और कन्हाई खेलते-खाते, स्नान करते कुशलपूर्वक रहें ( मैं तो यही चाहता हूँ।) श्यामसुन्दर तो अभी बालक है । तोतली, कोमल-वाणी बोलता है, तुम उस पर पता नहीं यह सब क्या दोष लगा रही हो ।'