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कहवाँ से आन्हीं आइल कहवाँ से पानी से अँचरवा उड़ि-उड़ि जाला हो लाल / महेन्द्र मिश्र
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कहवाँ से आन्हीं आइल कहवाँ से पानी से अँचरवा उड़ि-उड़ि जाला हो लाल।
पुरूब से आन्हीं आइल पछिम से बरखा से अँगनवाँ रन-बने भइलें हो लाल।
निहुरी-निहुरी गोरी अंगना बहरलीं अंचरवा उड़ि-उड़िजाला हो लाल।
का तुहूँ अँचरा हा उड़ि-उड़ि जालऽ मोरा पियवा बसेले दूर दसे हो लाल।
बाहर बरिस पर अइलें परदेसिया से ओरिया तरे बइठे मनवाँ मारि हो लाल।
कहत महेन्दर पीया भइलें निरमोहिया से नेहिया लगाके दगा दिहलें हो लाल।