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"कहिये तो कुछ कि काट लें दो दिन खुशी से हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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घबरा गये हैं आपकी इस बेरुख़ी से हम
 
घबरा गये हैं आपकी इस बेरुख़ी से हम
  
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मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम
 
मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम
  

01:07, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


कहिये तो कुछ कि काट लें दो दिन ख़ुशी से हम
घबरा गये हैं आपकी इस बेरुख़ी से हम

हर शख़्स आइना है हमारे ख़याल का
मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम

आयेगा कुछ नज़र तो कहेंगे पुकार कर
आँखें मिला रहे हैं अभी ज़िन्दगी से हम

आये भी लोग आपसे मिलकर चले गये
देखा किये हैं दूर खड़े अजनबी-से हम

रंगत किसीकी शोख़ निगाहों की है गुलाब
कह तो रहे है बात बड़ी सादगी से हम