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"कहीं मैं हो जाऊँ लयमान / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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कहीं मैं हो जाऊँ लयमान,
 
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विषम हालाहल का भी पान
 
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बढ़ाएगा ही मेरा आग,
 
बढ़ाएगा ही मेरा आग,
  
 
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नहीं वह मिटने वाला राग
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:::उठाती चलती है जो राग!
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20:07, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

कहीं मैं हो जाऊँ लयमान,
कहाँ लय होगा मेरा राग,
विषम हालाहल का भी पान
बढ़ाएगा ही मेरा आग,

नहीं वह मिटने वाला राग
जिसे लेकर चलती है आग,
नहीं वह बुझने वाली आग
उठाती चलती है जो राग!