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कहो तो लौट जाते हैं / वसी शाह

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चलो एक फैसला करने शजर<ref> दरख्त</ref> की ओर जाते हैं
अभी काजल की डोरी सुर्ख़ गालों तक नहीं आई
ज़बाँ दातों दांतों तलक है, ज़हर प्यालों तक नहीं आई
अभी तो मुश्क-ए-कस्तूरी<ref>कस्तूरी: नर हिरन की खुशबू </ref> ग़ज़ालों<ref> हिरणी</ref> तलक नहीं आई
अभी रुदाद-बे-उन्वाँ<ref> बिना शीर्षक की कहानी </ref> हमारे दर्मियाँ है
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