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"कांच के टुकड़ों को महताब बताने वाले / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर
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जाने मिल जाएँ कहाँ ज़ख़्म लगाने वाले | जाने मिल जाएँ कहाँ ज़ख़्म लगाने वाले | ||
14:57, 17 जून 2020 के समय का अवतरण
कांच के टुकड़ों को महताब बताने वाले
हमको आते नहीं आदाब ज़माने वाले
ग़ैर के दर्द से भी लोग तड़प जाते थे
वो ज़माना ही रहा ना वो ज़माने वाले
दर्द की कोई दवा ले के सफ़र पे निकलो
जाने मिल जाएँ कहाँ ज़ख़्म लगाने वाले
उनको पहचाने भी तो कैसे कोई पहचाने
अम्न के चोले में हैं आग लगाने वाले
वो करिश्माई जगह है ये मुहब्बत की बिसात
हार जाते हैं जहाँ सबको हराने वाले