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"काट रहे हैं फीते लोग / लाला जगदलपुरी" के अवतरणों में अंतर

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उन्मन हैं मनचीते लोग,
 
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वर्तमान के बीते लोग।
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वर्तमान के बीते लोग ।
  
भीतर भीतर मर मर कर,
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भीतर-भीतर मर-मर कर,
बाहर बाहर जीते लोग।
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बाहर-बाहर जीते लोग ।
  
निराधार खून देख कर
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निराधार ख़ून देख कर
घूंट खून के पीते लोग।
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घूँट ख़ून के पीते लोग ।
  
 
और उधर जलसों की धूम
 
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काट रहे हैं फीते लोग।
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भाव शून्य शब्दों का कोश,
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बाँट रहे हैं रीते लोग।
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बाँट रहे हैं रीते लोग ।
 
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00:43, 4 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

उन्मन हैं मनचीते लोग,
वर्तमान के बीते लोग ।

भीतर-भीतर मर-मर कर,
बाहर-बाहर जीते लोग ।

निराधार ख़ून देख कर
घूँट ख़ून के पीते लोग ।

और उधर जलसों की धूम
काट रहे हैं फीते लोग ।

भाव-शून्य शब्दों का कोश,
बाँट रहे हैं रीते लोग ।