भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कानून की देवी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

‘कानून अंधा होता है’
पुराना हो चुका है यह जुमला
अब तो कानून की देवी ख़ुद
सफ़ेदपोश लोगों के शयन कक्ष में
बिस्तर के सिलवटों की गवाह बनती है।
(बदन से ‘लेडी डायना’ की बू आती है)