भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काला और सफ़ेद / केशव

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:57, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सब छिप जाता है
काले में
सफेद नहीं

सफेद
उनकी पोशाक है
काली
उनकी करनी
दिखे तो दिखे
उन्हें फर्क नहीं पड़ता
देश के नक्शे में
सब कुछ
एक-सा-दिखता

सतह पर
हलचल
नीचे
जड़ता ही जड़ता।