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"काहे री नलिनी तू कुमिलानी / कबीर" के अवतरणों में अंतर

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02:58, 30 जुलाई 2009 के समय का अवतरण

काहे री नलिनी तू कुमिलानी।
तेरे ही नालि सरोवर पानी॥
जल में उतपति जल में बास, जल में नलिनी तोर निवास।
ना तलि तपति न ऊपरि आगि, तोर हेतु कहु कासनि लागि॥
कहे 'कबीर जे उदकि समान, ते नहिं मुए हमारे जान।