भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कितने भारी हैं ये दिन / हरमन हेस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरमन हेस |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> कितन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
कि प्‍यार भी मर सकता है।
 
कि प्‍यार भी मर सकता है।
  
 +
……………………………………………………………………………………………
 +
'''[[कतिविध्न गर्‍हौँ दिनहरू / हर्मन हेस्स / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ]]'''
 
</poem>
 
</poem>

09:37, 4 दिसम्बर 2020 का अवतरण

कितने भारी हैं ये दिन।
कहीं कोई आग नहीं जो मुझे गर्मा सके,
कोई सूरज नहीं जो हंस सके मेरे साथ,
हर चीज नंगी,
सब कुछ ठंडा और बेरहम,
यहां तक कि मेरा प्‍यार भी,
और सितारे खाली निगाहों से नीचे देख रहे,
जब से मुझे यह अहसास हुआ है
कि प्‍यार भी मर सकता है।

……………………………………………………………………………………………
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ