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"किससे परदा रखते हो? / बुल्ले शाह" के अवतरणों में अंतर

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क्यों ओट में बेठ के तकते हो
 
क्यों ओट में बेठ के तकते हो
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'''मूल पंजाबी पाठ'''
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पर्दा किसतों राखी दा
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कियों ओहले बह बह झाँकी दा,
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पहले आप साजन साजी दा,
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हुण दसना ऐं सबक़ नमाज़ी दा,
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हुन आया आप नज़ारे नूं,
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विच लैली बन झाँकी दा ।।१।।
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शाह शमस दी खाल लहायो,
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मंसूर नूं च सूली दिवायो,
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ज़क्रीए सिर कल्क्तर धरायो,
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कि लिख्या रह गया बाक़ी दा? ।।२।।
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कुन किहा फ़ैकुन कहाया,
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बेचुनी दा चुन बस्साए,
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खातर तेरी जोगत बणाया,
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सिर पर छतर लौकाई दा ।।३।।
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कुण साडी वल धाया हैं,
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न रहन्दा छप्पा छपाया है,
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किते बुल्ला नाम धराया हैं,
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विच ओहला रख्या खाकी दा ।।४।।
 
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02:33, 8 मार्च 2010 का अवतरण

पहले खुद को यार बनाते हो
फिर शरत-ऐ-नमाज़ लगाते हो
जब जौक-ऐ-नमूद सताता है
फिर लैला बन बन आते हो

किस से पर्दा रखते हो
क्यों ओट में बेठ के तकते हो

शाह-शमस की खाल खिंचवाई
मंसूर को सूली गढ़वाई
ज़करीया सिर आरी भी चलवाई
अब क्या रह गया लेखा बाकी

किस से पर्दा रखते हो
क्यों ओट में बेठ के तकते हो

अपनी सिमत जो तुम हो आये
छुप कर भी नहीं अब छुप सकते
नाम भी को रखवाया बुल्ला
और खाकी चोला भी पहना

किस से पर्दा रखते हो
क्यों ओट में बेठ के तकते हो


मूल पंजाबी पाठ

पर्दा किसतों राखी दा
कियों ओहले बह बह झाँकी दा,
पहले आप साजन साजी दा,
हुण दसना ऐं सबक़ नमाज़ी दा,
हुन आया आप नज़ारे नूं,
विच लैली बन झाँकी दा ।।१।।

शाह शमस दी खाल लहायो,
मंसूर नूं च सूली दिवायो,
ज़क्रीए सिर कल्क्तर धरायो,
कि लिख्या रह गया बाक़ी दा? ।।२।।

कुन किहा फ़ैकुन कहाया,
बेचुनी दा चुन बस्साए,
खातर तेरी जोगत बणाया,
सिर पर छतर लौकाई दा ।।३।।

कुण साडी वल धाया हैं,
न रहन्दा छप्पा छपाया है,
किते बुल्ला नाम धराया हैं,
विच ओहला रख्या खाकी दा ।।४।।