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किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे,
हाय वो रोज़ो-शब कि के मेरे साथ तुम भी थे
यादश बख़ैर अहदे-गुज़िश्ता की सोहबतें,
एक दौर था अजब कि के मेरे साथ तुम भी थे
बे-महरी-ए-हयात की शिद्दत के बावजूद,
दिल मुतमईन था जब कि के मेरे साथ तुम भी थे
मैं और तकाबिले- ग़मे-दौराँ का हौसला,
कुछ बन गया सबब कि के मेरे साथ तुम भी थे
इक ख़्वाब हो गई है रह-रस्मे- दोसती,
एक वहम -सा है अब कि के मेरे साथ तुम भी थे
वो बज़्म मेरे दोस्त याद तो होगी तुम्हें "फराज़"
वो महफ़िले-तरब कि के मेरे साथ तुम भी थे
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