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"कि जीवन आशा का उल्‍लास / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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कि जीवन आशा का उल्‍लास,
 
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कि जीवन आशामय उद्गार,
 
कि जीवन आशामय उद्गार,
 
 
कि जीवन आशाहीन पुकार,
 
कि जीवन आशाहीन पुकार,
  
 
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दिवा-निशि की सीमा पर बैठ
:::दिवा-निशि की सीमा पर बैठ
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निकालूँ भी तो क्‍या परिणाम,
 
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विहँसता आता है हर प्रात,
:::निकालूँ भी तो क्‍या परिणाम,
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बिलखती जाती है हर शाम!
 
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:::विहँसता आता है हर प्रात,
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:::बिलखती जाती है हर शाम!
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19:55, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

कि जीवन आशा का उल्‍लास,
कि जीवन आशा का उपहास,
कि जीवन आशामय उद्गार,
कि जीवन आशाहीन पुकार,

दिवा-निशि की सीमा पर बैठ
निकालूँ भी तो क्‍या परिणाम,
विहँसता आता है हर प्रात,
बिलखती जाती है हर शाम!