भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कीड़े / ओरहान वेली

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:11, 30 जून 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओरहान वेली |अनुवादक=सिद्धेश्वर स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सोचो नहीं
बस,
इच्छा करो

देखो,
कीड़े भी करते हैं
ऐसा।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह