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"की नज़र मैं ने जब एहसास के आईने में / हनीफ़ कैफ़ी" के अवतरणों में अंतर
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20:44, 12 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण
की नज़र मैं ने जब एहसास के आईने में
अपना दिल पाया धड़कता हुआ हर सीने में
मुद्दतें गुज़रीं मुलाक़ात हुई थी तुम से
फिर कोई और न आया नज़र आईने में
अपने काँधों पे लिए फिरता हूँ अपनी ही सलीब
ख़ुद मिरी मौत का मातम है मिरे जीने में
अपने अंदाज़ा से अंदाज़ा लगाया सब ने
मुझ को यारों ने ग़लत कर लिया तख़मीने में
अपनी जानिब नहीं अब लौटना मुमकिन मेरा
ढल गया हूँ मैं सरापा तिरे आईने में
एक लम्हे को ही आ जाए मयस्सर ‘कैफ़ी’
वो नज़र जो मुझे देखे मिरे आईने में