भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
ग़रीबों के हक़ की बात करें,
इन्सांनियत इन्सानियत के दुश्मनों का करें बहिष्कार।
बच्चों की सेहत पर दें ध्यान,नारी न हो कहीं शर्मसार।
बुजुर्गों का आदर हो,घर-घर में पनपें संस्कार।
दो देश करते हैं जैसे, प्रत्यार्पण करार ।।
राम और कृष्ण की भूमि महाशक्त् महाशक्ति‍ बने
देश का नाम हो जगत् में सिरमौर।
दूध की नदियाँ बहें फि‍र,
नेहरू के पंचशील का हो भोर।
कुछ इस तरह बनायें, सरकार इस बार।
दो देश करते हैं जैसे, निरस्त्रीरकरण निरस्त्रीकरण करार ।।
न बनें सरहदें,न टूटें कोई राज्य,न बँटें ज़मीनें।