भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कुछ को पसन्द है कविता / विस्साव शिम्बोर्स्का / अनूप सेठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विस्साव शिम्बोर्स्का |अनुवादक=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
− | कुछ को — | + | '''कुछ को''' — |
सबको नहीं, | सबको नहीं, | ||
सब में से बहुतों को भी नहीं | सब में से बहुतों को भी नहीं | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
एक हज़ार में कोई दो लोगों को । | एक हज़ार में कोई दो लोगों को । | ||
− | पसन्द है — | + | '''पसन्द है''' — |
पर किसी को चिकन सूप और नूडल भी पसन्द है | पर किसी को चिकन सूप और नूडल भी पसन्द है | ||
किसी को तारीफ़ें पसन्द हैं और नीला रंग | किसी को तारीफ़ें पसन्द हैं और नीला रंग | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
किसी को कुत्ते को सहलाना । | किसी को कुत्ते को सहलाना । | ||
− | कविता — | + | '''कविता''' — |
पर कविता है क्या | पर कविता है क्या | ||
कई ढुलमुल जवाब दिए गए हैं इस सवाल के | कई ढुलमुल जवाब दिए गए हैं इस सवाल के |
15:57, 25 सितम्बर 2023 का अवतरण
कुछ को —
सबको नहीं,
सब में से बहुतों को भी नहीं
बल्कि बहुत कम को ।
नहीं गिन रही स्कूलों को, जहाँ ज़रूरी है
और ख़ुद कवियों को
एक हज़ार में कोई दो लोगों को ।
पसन्द है —
पर किसी को चिकन सूप और नूडल भी पसन्द है
किसी को तारीफ़ें पसन्द हैं और नीला रंग
किसी को पुराना स्कार्फ़ पसन्द है
किसी को रौब जमाना पसन्द है
किसी को कुत्ते को सहलाना ।
कविता —
पर कविता है क्या
कई ढुलमुल जवाब दिए गए हैं इस सवाल के
लेकिन मैं नहीं जानती, नहीं ही जानती
पर थामे हुए हूँ इसे
जैसे जंगला पकड़ते हैं ।
(रेगीना ग्रोल के अँग्रेज़ी में किए गए अनुवाद से अनूदित)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनूप सेठी