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"कुछ नमक से भरी थैलियाँ खोलिए / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर

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कुछ नमक से भरी थैलियाँ खोलिए
कुछ नमक से भारी थैलियाँ खोलिए
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फिर मेरे घाव की पट्टियाँ खोलिए ।
 
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मेरे ‘पर’ तो कतर ही दिए आपने
 
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अब तो पैरों की ये रस्सियाँ खोलिए ।
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पहले आहट को पहचानिए तो सही
 
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जल्दबाज़ी में मत खिड़कियाँ खोलिए ।
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भेज सकता है काग़ज के बम भी कोई
 
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ऐसे झटके से मत चिटिठयाँ खोलिए ।
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जिसको बिकना है चुपके से बिक जाएगा
 
जिसको बिकना है चुपके से बिक जाएगा
 
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यूँ खुले आम मत मण्डियाँ खोलिए ।
यूँ खुले आम मत मण्डियाँ खोलिए।
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23:58, 22 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

कुछ नमक से भरी थैलियाँ खोलिए
फिर मेरे घाव की पट्टियाँ खोलिए ।

मेरे ‘पर’ तो कतर ही दिए आपने
अब तो पैरों की ये रस्सियाँ खोलिए ।

पहले आहट को पहचानिए तो सही
जल्दबाज़ी में मत खिड़कियाँ खोलिए ।

भेज सकता है काग़ज के बम भी कोई
ऐसे झटके से मत चिटिठयाँ खोलिए ।

जिसको बिकना है चुपके से बिक जाएगा
यूँ खुले आम मत मण्डियाँ खोलिए ।