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कुछ न कुछ आँख के महवर से निकल आएगा
और मंज़र <ref>दृष्य</ref> पसे-मंज़र <ref>दृष्य के पीछे से</ref> से निकल आएगा
सर-ब-कफ़<ref>सर पर हाथ रखे हुए अर्थात मरने पे उतारू</ref> मौज<ref>लहर</ref> के रहवार <ref>अश्व , घोड़ा</ref> पे फिरता है हुबाब<ref>बुलबुला</ref>