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कुछ सूचनाएँ / धूमिल

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सबसे अधिक हत्याएँ

समन्वयवादियों ने की।

दार्शनिकों ने

सबसे अधिक ज़ेवर खरीदा।

भीड़ ने कल बहुत पीटा

उस आदमी को

जिस का मुख ईसा से मिलता था।



वह कोई और महीना था।

जब प्रत्येक टहनी पर फूल खिलता था,

किंतु इस बार तो

मौसम बिना बरसे ही चला गया

न कहीं घटा घिरी

न बूँद गिरी

फिर भी लोगों में टी.बी. के कीटाणु

कई प्रतिशत बढ़ गए



कई बौखलाए हुए मेंढक

कुएँ की काई लगी दीवाल पर

चढ़ गए,

और सूरज को धिक्कारने लगे

--व्यर्थ ही प्रकाश की बड़ाई में बकता है

सूरज कितना मजबूर है

कि हर चीज़ पर एक सा चमकता है।



हवा बुदबुदाती है

बात कई पर्तों से आती है—

एक बहुत बारीक पीला कीड़ा

आकाश छू रहा था,

और युवक मीठे जुलाब की गोलियाँ खा कर

शौचालयों के सामने

पँक्तिबद्ध खड़े हैं।



आँखों में ज्योति के बच्चे मर गए हैं

लोग खोई हुई आवाज़ों में

एक दूसरे की सेहत पूछते हैं

और बेहद डर गए हैं।



सब के सब

रोशनी की आँच से

कुछ ऐसे बचते हैं

कि सूरज को पानी से

रचते हैं।



बुद्ध की आँख से खून चू रहा था

नगर के मुख्य चौरस्ते पर

शोकप्रस्ताव पारित हुए,

हिजड़ो ने भाषण दिए

लिंग-बोध पर,

वेश्याओं ने कविताएँ पढ़ीं

आत्म-शोध पर

प्रेम में असफल छात्राएँ

अध्यापिकाएँ बन गई हैं

और रिटायर्ड बूढ़े

सर्वोदयी-

आदमी की सबसे अच्छी नस्ल

युद्धों में नष्ट हो गई,

देश का सबसे अच्छा स्वास्थ्य

विद्यालयों में

संक्रामक रोगों से ग्रस्त है



(मैंने राष्ट्र के कर्णधारों को

सड़को पर

किश्तियों की खोज में

भटकते हुए देखा है)



संघर्ष की मुद्रा में घायल पुरुषार्थ

भीतर ही भीतर

एक निःशब्द विस्फोट से त्रस्त है



पिकनिक से लौटी हुई लड़कियाँ

प्रेम-गीतों से गरारे करती हैं

सबसे अच्छे मस्तिष्क,

आरामकुर्सी पर

चित्त पड़े हैं।